कैलाश मानसरोवर सनातन धर्म अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण आस्था का केंद्र है, इसे बारह ज्योर्तिलिंगों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है | ऐसी मान्यता है की यहाँ ही भगवान् शिव का निवास है, हिंदू धर्म ग्रंथो के अनुसार इस स्थान पर भगवान् शिव आदि से अंत तक निवास करेंगे इसी आस्था के कारण ऐसा कहा जाता है कि जो यहां एक बार आ जाता है उसका जीवन सफल हो जाता है उसे अपने जीवन-मरण से मुक्ति प्राप्त हो जाती है| कैलाश मानसरोवर तिब्बत में स्थित है, यह कैलाश पर्वत श्रेणी का एक हिस्सा है जो जम्मू कश्मीर से भूटान तक फैली हुई है इसी पर्वत श्रेणी से ब्रह्मपुत्र, सिंधु, सतलज नदियों का उद्गम होता है | समुंदर तल से 6638 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है इस पर्वत का आकार एक शिवलिंग जैसा है यह स्थान सिर्फ हिंदू धर्म के लिए ही नहीं बल्कि जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी बहुत पवित्र माना जाता है | जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ऋषभ देव ने यहीं निर्वाण प्राप्त किया था और तिब्बती बौद्ध लोग इसे भगवान् बुद्ध और मणिपद्म का निवास स्थान मानते है |
धार्मिक ग्रंथों में कैलाश मानसरोवर का वर्णन
हिंदू धर्म के अनुसार कैलाश पर्वत भगवान शिव का का मूल स्थान है शिव पुराण, स्कंद पुराण, मत्स्य पुराण में मानस खंड नाम का उल्लेख किया गया है जिसके अंतर्गत कैलाश पर्वत की चर्चा की गई है | हिन्दू धर्म के अनुसार यह स्थान कुबेर देवता का नगर है,ऐसा माना जाता है की कैलाश पर्वत के ऊपर स्वर्ग और नीचे नर्क है | जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ऋषभदेव के निर्वाण की प्राप्ति के स्थान को ‘अष्टपद’ कहा जाता है ऐसा माना जाता है की उन्होंने आठ क़दमों से कैलाश पर्वत परिक्रमा पूरी की थी, उनके पुत्र भरत ने यहाँ 72 जैन मंदिरों की स्थापना की थी| गुरुनानक देव ने कुछ वर्ष यहाँ बिताये थे इसलिए यह स्थान सिखों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है | तिब्बती लामा इस पर्वत को डेमचौक( भगवान् बुद्ध ) का निवास स्थान मान का कर पूजते है |
मानसरोवर ताल
समुद्र तल से 4556 मीटर की ऊंचाई पर स्थित झील सनातन और बौद्ध धर्म के लिए बहुत ही पवित्र माना जाता है| यह झील 320 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, इस के पास ही एक स्थान है जिसके लिए यह धारणा है कि यहां देवी सती का दाया हाथ गिरा था उसी स्थान पर एक पत्थर की शिला है जिसकी पूजा की जाती है उसे शक्तिपीठ के रूप में माना जाता है| मानसरोवर झील के लिए ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसे उत्पन्न किया था पुराणों में इसे क्षीरसागर कहा गया है और भगवान् विष्णु का निवास स्थान बताया गया है| इससे तिब्बती लोग भी बहुत पवित्र मानते हैं |
राक्षस ताल
राक्षस ताल को रावण से संबंधित माना जाता है और इस झील को अपवित्र माना जाता है इस झील का पानी खारा है और इसमें कोई भी जीव जंतु या पेड़ पौधे नहीं होते| तिब्बती लोग भी इस झील को अपवित्र मानते हैं इसलिए इसका कोई विशेष स्थान नहीं है |
कैसे करें कैलाश मानसरोवर की यात्रा
कैलाश मानसरोवर की यात्रा हर वर्ष मई से सितम्बर के बीच में होती है चूँकि कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित है इसलिए यहाँ की यात्रा भारत सरकार द्वार निर्धारित की जाती है | तिब्बत चीन के अंतर्गत आता है इसलिए यहाँ यात्रा करने के कुछ नियम भारत-चीन द्वारा तय किये जाते है | इस यात्रा के प्रारंभ होने से एक डेढ़ महीने पहले इसका पंजीकरण किया जाता है फिर यात्रा प्रारंभ होती है, इस यात्रा को वही यात्री कर सकते है जिनकी उम्र 18 से 70 साल के बीच हो | हर वर्ष विदेश मंत्रालय द्वारा इस यात्रा से संबंधित सुचना निकाली जाती है उसके बाद यात्रा से संबंधित सारी प्रक्रियाएँ शुरू होती है, इस यात्रा में प्रत्येक यात्री का एक से डेढ़ लाख रूपये खर्च होते है |
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