हर साल चार धाम की यात्रा प्रारंभ होती है जो अप्रैल से लेकर नवंबर तक चलती है इस वर्ष भी 26 अप्रैल से 16 नवंबर तक चार धाम की यात्रा चलेगी| चार धाम यात्रा 6 महीने चलती है बाकी के 6 महीने बर्फ गिरने के कारण मंदिरों के कपाट बंद रखे जाते हैं| यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ यह चारों मंदिर गढ़वाल क्षेत्र के उत्तरकाशी रुद्रप्रयाग और चमोली जिले के अंतर्गत आते हैं यह चारों तीर्थ स्थल हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए आस्था और अध्यात्म का केंद्र हैं इसीलिए हर वर्ष लाखों की संख्या में दर्शनार्थी यहां अपने इष्ट देव की पूजा और आराधना करने पहुंचते हैं| चार धाम यात्रा का कार्यक्रम 10 से 12 दिन का होता है, जिसमें कुल 1500 से 1600 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है यह यात्रा बस और टैक्सी द्वारा की जाती है| यात्रा के दौरान बहुत से पड़ाव ऐसे आते हैं जहां यात्रियों को पैदल यात्रा करनी पड़ती है, यह यात्रा पारंपरिक रूप से हरिद्वार से प्रारंभ होती है और सबसे पहले तीर्थ स्थल यमुनोत्री तक पहुंचती है |

यमुनोत्री

यमुनोत्री यमुना नदी का उद्गम स्थल है, यहां पर यमुना देवी का मंदिर है जहां पर बड़ी संख्या में हर साल लोग दर्शन करने के लिए आते हैं| यमुनोत्री चार धाम यात्रा का सबसे पहला मंदिर है यमुनोत्री के लिए हरिद्वार से ऋषिकेश होते हुए नरेंद्र नगर, चमाब, ब्रह्मखाल, बड़कोट, श्यान चट्टी, फूल चट्टी और जानकी चट्टी होकर जाना पड़ता है| जानकीचट्टी से यमुनोत्री 6 किलोमीटर दूर है और यहाँ पैदल यात्रा करनी पड़ती है यमुनोत्री तक पहुंचने और दर्शन करने में 2 से 3 दिन का समय लगता है |

गंगोत्री

गंगोत्री उत्तरकाशी में स्थित है यह गंगा नदी का उद्गम स्थल है यहां पर गंगा देवी का मंदिर भी बनाया गया है मंदिर से गंगा नदी का उद्गम स्थल जिसे गोमुख के नाम से जाना जाता है 18 किलोमीटर की दूरी पर थोड़ी ऊंचाई पर गंगोत्री ग्लेशियर के पास स्थित है| गोमुख जाने के लिए पैदल यात्रा करनी पड़ती है, गंगोत्री की यात्रा यमुनोत्री से ही ब्रह्मखाल से उत्तरकाशी-नेताला-मनेरी-गगनानी-हरसिल होते हुए पहुंचा जाता है गंगोत्री की यात्रा में भी 1 से 2 दिन का समय लगता है|

केदारनाथ

केदारनाथ रुद्रप्रयाग में स्थित है यहां भगवान शिव की पूजा की जाती है इसकी गणना 12 ज्योतिर्लिंगों में की जाती है| केदारनाथ के लिए उत्तरकाशी से गुप्तकाशी तक 230 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है| यह यात्रा बस या टैक्सी द्वारा की जाती है फिर गुप्तकाशी से गौरीकुंड की 30 किलोमीटर की यात्रा की जाती है फिर गौरीकुंड से केदारनाथ की दूरी 16 किलोमीटर रह जाती है| इस यात्रा को पैदल ही करना पड़ता है यात्रियों की सुविधा के लिए यहां पर डोली, खच्चर आदि की सुविधा मिलती है |

बद्रीनाथ

बद्रीनाथ में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, बद्रीनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए केदारनाथ से रुद्रप्रयाग वापस आना पड़ता है और यहां से कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, चमोली, पीपलकोटी और जोशीमठ से होते हुए बद्रीनाथ पहुंचा जाता है| रुद्रप्रयाग से बद्रीनाथ की पूरी यात्रा में 160 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है, दर्शन करने के बाद वापसी के लिए रुद्रप्रयाग से ही बस या टैक्सी करके हरिद्वार तक की यात्रा की जाती है |

हरिद्वार से चारधाम यात्रा

पहला दिन: 1 – हरिद्वार से बड़कोट तक की यात्रा की जाती है, इन दोनों के बीच 215 किमी की दूरी है, बड़कोट में रात को रुक कर दुसरे दिन फिर यात्रा शुरू की जाती है |

दूसरा दिन: 2 – बड़कोट से जानकी चट्टी तक की यात्रा की जाती है , जानकी चट्टी से 6 किमी की पैदल यात्रा करके यमुनोत्री मंदिर तक पहुंचा जाता है दर्शन करने के बाद वापिस बड़कोट तक की यात्रा करनी पड़ती है |

तीसरा दिन: 3 – बड़कोट से उत्तरकाशी पहुँच कर रात को रुक कर अगले दिन से गंगोत्री की यात्रा शुरू करते है |

चौथा दिन: 4 – उत्तरकाशी से गंगोत्री तक 100 किमी की यात्रा करके पहुँचा जाता है दर्शन करने के बाद केदारनाथ की यात्रा करने के लिए उत्तरकाशी वापिस आना पड़ता है |

पांचवा दिन: 5 – उत्तरकाशी से गुप्तकाशी तक की यात्रा करनी पड़ती है, चूँकि उत्तरकाशी से गुप्तकाशी की दुरी 215 किमी है और यह पूरी 6-7 घंटे की यात्रा होती है यहाँ पहुँचने में रात हो जाती है इसलिए रात को यहाँ रुक कर अगले दिन यात्रा करना ठीक रहता है |

छठा दिन: 6 – गुप्तकाशी से गौरीकुंड पहुँच कर यहाँ से 16 किमी की पैदल यात्रा करके केदारनाथ मंदिर पहुँचते है मंदिर में दर्शन करके रात को यहीं रुकते है |

सातवा दिन: 7 – केदारनाथ से वापिस गौरीकुंड और यहाँ से बदरीनाथ जाने के लिए बिरही तक की यात्रा, यहाँ रात को रुक कर अगले दिन से यात्रा प्रारंभ करें |

आठंवा दिन: 8 – बिरही से बद्री नाथ की यात्रा करते हैं फिर यहाँ पहुँच कर मंदिर में दर्शन करके अगले दिन वापिसी की यात्रा प्रारंभ करते है |

नौवां दिन: 9 – बदरीनाथ से रुद्रप्रयाग तक की यात्रा करते हैं, रात को यहाँ रुक कर अगले दिन हरिद्वार के लिए वापिस यात्रा करते है |

दसवां दिन: 10 – रुद्रप्रयाग से हरिद्वार के लिए यात्रा करनी पड़ती है| और यहां चार धाम की यात्रा समाप्त होती है|

चार धाम की यात्रा  बुक करने के लिए dham-yatra.com को सम्पर्क करें, या इस नंबर पर फ़ोन करे: 9871148514

Shivangi rai is a research scholar in the field of mass media and mass communication. She loves to write articles/stories on social and cultural issues. Her writing skill is different because she chooses topics from the issues that affect everyone's life. She wants to aware people of her writing about the needful things like health issues, educational and cultural values. She believes that reading can change someone's life, so that writing should be in a manner that can be related to everyone's day to day lifestyle.

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