तुंगनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, यह पंच केदार मंदिरों में से एक है तुंगनाथ मंदिर समुद्र तल से 3640 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है यह दुनिया का सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर है| महाभारत के अनुसार इसकी स्थापना पांचों पांडवों में से एक अर्जुन ने की थी महाभारत की कथा के अनुसार कुरुक्षेत्र युद्ध में अपने भाइयों की हत्या का पाप पांचों पांडवों के ऊपर लगा इस पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भगवान शिव का आशीर्वाद पाना चाहा, लेकिन भगवान शिव पांडवों द्वारा युद्ध में किए गए नरसंहार से रुष्ट थे और वह पांडवों को अपना दर्शन नहीं देना चाहते थे और इससे बचने के लिए उन्होंने एक बैल का रूप धारण कर लिया ताकि पांडव उनको पहचान ना पाए|

पांचो पांडव शिव की खोज करते हुए केदारखंड तक पहुँचे वहां उन्होंने अपने आराध्य देव को पहचान लिया और रोकना चाहा लेकिन भगवान् शिव बैल रूप में ही वह से अंतर्ध्यान होने लगे और इस तरह अंतर्ध्यान होते हुए वे जहाँ भी आंशिक रूप से प्रकट हुए वहाँ पांडवों ने मंदिर बना दिया तुंगनाथ में भगवान् शिव का भुजाओं को देखा गया था इसलिए यहाँ उनकी भुजाओं की पूजा होती है|

तुंगनाथ मंदिर-

तुंगनाथ मंदिर चोपता से साढ़े तीन किमी की दूरी पर स्थित है, चोपता से पैदल चढ़ाई करके इस मंदिर तक पहुंचना पड़ता है| यह मंदिर पत्थरों से बना हुआ है इस मंदिर का निर्माण उत्तर भारतीय शैली में किया गया है, मंदिर के अनेक देवी देवताओं की छोटे-छोटे मंदिर है| मंदिर के अंदर शिवलिंग के माता पार्वती की मूर्ति भी स्थापित है इसके साथ ही पांचो पांडवों और द्रौपदी की मूर्ति भी स्थापित है| तुंगनाथ मंदिर अप्रेल से नवबंर तक दर्शनार्थियों के लिए खुला रहता है नवम्बर से मार्च तक यह पूरा स्थान बर्फ से ढका रहता है, तब तुंगनाथ की गद्दी चोपता के पास स्थित गाँव मक्कूमठ में लाया जाता है इसी गाँव के पुजारी तुंगनाथ में पूजा करते है इन्हें मैथानी ब्राह्मण कहते है |

चोपता और चंद्रशिला-

Tungnath Trek

चोपता से चन्द्रशिला तक प्राकृतिक सुन्दरता का वर्णन नहीं किया जा सकता इस पुरे क्षेत्र को छोटा स्विट्जर्लेंड भी कहा जाता है, चोपता और चंद्रशिला के बीच में ही तुंगनाथ का मंदिर आता है | चोपता से तुंगनाथ लगभग साढ़े तीन किलोमीटर है और तुंगनाथ से चंद्रशिला डेढ़ किलोमीटर दूर है| चंद्रशिला एक चोटी है, ऐसा माना जाता है की रावण का वध करने के बाद ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए यही पर राम जी ने भगवान् शिव की आराधना की थी, यह एक अद्भुत जगह है यहाँ से बदरीनाथ और केदारनाथ की चोटी भी दिखाई देती है|

चोपता के बारे में यह मान्यता है की माता पार्वती ने भगवान् शिव से विवाह करने के लिए यही तपस्या की थी| यहाँ पर जैसे जैसे ऊपर पहाड़ों की तरफ चढ़ाई की जाती है वहां हरे भरे सुन्दर मखमली बुग्याल मिलते है जो इस जगह की विशेषता है , बुग्याल एक गढ़वाली शब्द है इसका प्रयोग पहाड़ों में हरे भरे घास के मैदानों के लिए किया जाता है |

तुंगनाथ जाने के लिए ऋषिकेश से उखीमठ के लिए बस और अन्य गाड़ियों की सुविधा मिलती है| ऋषिकेश से उखीमठ 178 किमी दूर है और यहाँ से चोपता 24 की दूरी पर स्थित है, चोपता तक की यात्रा गाड़ी से की जाती है इसके आगे की यात्रा पैदल होती है| चोपता में यात्रियों के ठहरने के लिए धर्मशाला और गेस्टहाउस की सुविधा मिलती है |

Shivangi rai is a research scholar in the field of mass media and mass communication. She loves to write articles/stories on social and cultural issues. Her writing skill is different because she chooses topics from the issues that affect everyone's life. She wants to aware people of her writing about the needful things like health issues, educational and cultural values. She believes that reading can change someone's life, so that writing should be in a manner that can be related to everyone's day to day lifestyle.

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