बदरीनाथ धाम मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ तहसील का एक नगर पंचायत है, इस मंदिर में भगवान् विष्णु की आराधना की जाती है | बद्रीनाथ मंदिर जिस स्थान पर स्थित उसे पुरे कस्बे को बदरीनाथ पूरी कहते है | यह मंदिर समुद्रतल से 3133 मी. की ऊंचाई पर हिमालय की पहाड़ियों के बीच स्थित है यह पूरा क्षेत्र गढ़वाल के अंतर्गत आता है | यह मंदिर ऋषिगंगा और अलकनंदा के संगम के पास स्थित है, मदिर के आगे की तरफ नर पर्वत और पीछे की तरफ नारायण और नीलकंठ पर्वत स्थित है |

पुराणों के अनुसार बदरीनाथ का पूरा क्षेत्र केदारखंड के अंतर्गत आता था, ऐसा कहा जाता है की जब गंगा नदी का पृथ्वी पर आगमन हुआ था तो वह बारह धाराओं में बंट गई थी यहाँ से जो धारा निकली उसे अलकनन्दा नाम से जाना गया| एक कथा के अनुसार भगवान् विष्णु जब अपने ध्यान के लिए एक उचित स्थान की खोज कर रहे थे तो उन्हें केदारखंड का यह भाग अपने ध्यान के लिए उपयुक्त लगा इसी स्थान पर उन्होंने ध्यानयोग किया आज उसी स्थान पर बदरीनाथ मंदिर स्थापित है| बदरीनाथ मंदिर का उल्लेख स्कंद्पुरण, विष्णु पुराण महाभारत आदि में भी किया गया है, स्कन्द पुराण में इस क्षेत्र को ‘मुक्तिप्रदा’ के नाम से उल्लेखित किया गया है और भी कई ग्रंथो में इसे ‘मणिभद्र आश्रम’ और ‘योग सिद्ध’ नाम से उल्लेख किया गया है | ऐसा माना जाता है की इसी स्थान पर मुनि व्यास ने महाभारत को यही लिखा था और पांडवों ने अपने पितरों को पिंडदान भी यही दिया था |

बद्रीनाथ के दर्शनीय स्थल –

बद्रीनाथ मंदिर

chardham badrinath बद्रीनाथ

बदरीनाथ धाम भारत में आदि गुरु शंकराचार्य द्वार स्थापित चारधामों द्वारकाधीश, जगन्नाथपुरी, बदरीनाथ और रामेश्वरम में से एक है यह चारों मंदिर चार दिशाओं में स्थापित है, बदरीनाथ उत्तर दिशा में स्थापित है | बद्रीविशाल का यह मंदिर उत्तराखंड के चारधाम का सबसे आखरी पड़ाव है, यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ होते हुए सबसे अंत में यहाँ पहुँचते यहाँ आकर उनकी यात्रा पूर्ण मानी जाती है | बदरीनाथ का यह मंदिर पंचबद्री में भी आता है, इस मंदिर का उल्लेख वैसे तो ईसा पु. के ग्रंथो में भी मिलता है लेकिन आज जो मंदिर यहाँ स्थापित है उसकी स्थापना शंकराचार्य द्वारा 8 वीं शताब्दी में किया गया था| यह मंदिर अलकनंदा नदी से लगभग 50 मी. की ऊंचाई पर स्थित है, मंदिर में शालिग्राम द्वार निर्मित भगवान् विष्णु की प्रतिमा स्थापित है मंदिर का निर्माण पत्थर द्वारा किया गया है मंदिर के द्वार पर बहुत ही सुन्दर नक्काशी की गई है| इस मंदिर में भगवान् विष्णु के साथ माँ लक्ष्मी, नारद मुनि और गरुण जी की मूर्ति स्थापित है|

भीम पुल

यह एक विशाल पत्थर है जिसे माना जाता है की इसे भीम ने दो पहाड़ों के बीच में बह रही सरस्वती नदी के ऊपर पूल बनाने के लिए फेंका था जिससे की द्रौपदी नदी को पार कर सके |

माणा गाँव

यह गाँव बद्रीनाथ से सिर्फ तीन किमी की दूरी पर स्थित है, इस गाँव में बहुत सी गुफांयें है जिन्हें माना जाता है की यह कई हजारों साल पुराने है| इसी गाँव में व्यास गुफा है कहा जाता इसी गुफा में वेदव्यास ने महाभारत की रचना की थी |

सतोपंथ

यह एक झील है जो चारों तरफ से बर्फीली चोटियों से घिरा हुआ है, ऐसा कहा जाता है की हर एकादशी को हिन्दू देव ब्रह्मा, विष्णु और शिव इस झील में स्नान करते है| इस झील तक पहुंचना कठिन है|

तप्त कुण्ड

बद्रीनाथ के दर्शन करने से पहले दर्शनार्थी यहाँ स्नान करते है, इस कुण्ड का जल औसत रूप से गर्म रहता है| इन तीर्थ स्थानों के अलावा बद्रीनाथ में नारद ताल, लीला ढोंगी, उर्वशी मंदिर, चरण पादुका, वसुंधरा जलप्रपात, पंच शिला और माता मूर्ति मंदिर इत्यादि दर्शन करने के स्थान है |

बद्रीनाथ ऋषिकेश से 294 किमी की दूरी पर स्थित है, बदरीनाथ जाने के तीन रास्ते है रानीखेत से, कोटद्वार से पौड़ी गढ़वाल होते हुए और हरिद्वार से देवप्रयाग होकर ये तीनो ही रस्ते कर्णप्रयाग जा कर मिल जाते है| बद्रीनाथ तक जाने के लिए बस या नीजी गाड़ियों का ही प्रयोग अधिकांश लोग करते है | यहाँ तक जाने के लिए ट्रेन की कोई सुविधा नहीं है, हरिद्वार और ऋषिकेश तक ट्रेन की सुविधा है |

Shivangi rai is a research scholar in the field of mass media and mass communication. She loves to write articles/stories on social and cultural issues. Her writing skill is different because she chooses topics from the issues that affect everyone's life. She wants to aware people of her writing about the needful things like health issues, educational and cultural values. She believes that reading can change someone's life, so that writing should be in a manner that can be related to everyone's day to day lifestyle.

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